Thursday 27 August 2009

ये ब्लोगर कौन हैं ? (भाग-२५)

इस ब्लोगर पहचान पहेली में प्रति दिन भाग लेकर विजेता बनें और ३० ब्लोगों के जारी हो जाने पर बनें दो पुरस्कारों के विजेता! प्रथम पुरस्कार- १,५००/- , द्वितीय पुरस्कार- १,१००/- (ब्लॉग प्रति दिन नौ से दस बजे रात को जारी होगा )
------- बताइए ये ब्लोगर कौन हैं -------
--------------------------------------------------
पहेली २४ का सही हल- श्री रवि रतलामी
--------------------------------------------------
विजेता हैं- श्री पंडित डी.के शर्मा "वत्स" (आपको बहुत -बहुत बधाई)
--इनकी फोटो उपलब्ध नहीं----
--------------------------------------------------
इनके जवाब भी सही हैं- श्री अलबेला खत्री, श्यामल सुमन, शरद कोकस, संजय बेंगानी, अविनाश वाचस्पति, एम वर्मा, समीर लाल, संगीता पुरी, राजीव तनेजा, सैयद
--------------------------------------------------
सभी ब्लोगर भाई-बहनों से निवेदन है- इस ब्लॉग पर टिपण्णी देकर केवल फर्ज अदा न करें, सही जवाब भी देने की भी कोशिश करें, ये ब्लॉग आपका अपना है, आप अपनी टिप्पणियों द्वारा अपने अन्य ब्लोगर भाई से चाहे तो हल्का मजाक-मस्ती कर सकते हैं, इसकी छुट है, हाँ, इस बात का ख्याल रखें की आपके द्वारा किसी के दिल को ठेस न पहुंचे, प्यार दीजिये, प्यार पाइए, यही इस ब्लॉग का मकसद है, आपका ही स्नेह इस ब्लॉग को शिखर पर ले जा रहा है, मैं आप सभी का अत्यंत आभारी हूँ, धन्यवाद!
--------------------------------------------------
(कुल प्राप्त टिप्पणियां- २३ )
दोस्तों, ख़ुशी की बात यह है की बस पांच ब्लॉग और जारी होंगे फिर १५००/- और १,१००/- के विजेता के नाम सामने आ जायेंगे, आपसभी, १,१००/- प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक टिपियायें !
-------------------------------------------------

27 comments:

  1. क्षमा चाहूँगा- आज जितना, किसी को पहचानने में, अपने आपको कभी मजबूर न पाया.

    ReplyDelete
  2. कही रंजना जी तो नही है.

    ReplyDelete
  3. या फिर ज्ञानदत्त पाण्डेय | Gyandutt Pandey

    ReplyDelete
  4. कोई न कोई ब्लोगरो मे से ही है. पक्की बात. 100% कंफर्म.

    ReplyDelete
  5. मगर मै नही हूँ

    ReplyDelete
  6. समीर जी
    अगर सुमन जी होते तो सुरेश जी टीका ज़रूर हटा दिये होते. क्यो सुरेश जी सही कह रहा हूँ न.

    ReplyDelete
  7. समीरजी, लगता है आज पहेली ज्यादा ही कठिन है? वर्माजी तो कुछ ज्यादा ही टेंशन में आ गए हैं, कोई बात नहीं , लीजिये क्लू ..इनका उप नाम पु...से शुरू होता है, भाई प्रख्यात ब्लोगर हैं !

    ReplyDelete
  8. दोस्तों, क्लू पकडिये, और जी भरकर टिपियाइये क्योकि जो ज्यादा टिपियायेगा १,१००/- के लड्डू पायेगा !

    ReplyDelete
  9. श्री प्रवीण त्रिवेदी जी को जन्मदिन की ढेरों शुभ कामनाएं..ब्लोगर पहचानो परिवार की तरफ से ! तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हों पचास हजार !

    ReplyDelete
  10. अनिल पुसदकर जी

    ReplyDelete
  11. अनिल पुसदकर जी को बना लिया
    हॉलीवुड की नामी हीरोईन
    इनको पहचानने पर आपको जरूर
    इनाम बढ़ाना पडेगा
    यह पहचान इतने सस्‍ते में नहीं चलेगा।

    हॉलीवुड में मिलता है काम का अधिक दाम
    काम चाहे पहचानना हो या न पहचानना।

    ReplyDelete
  12. हमें तो नकद ही दीजिएगा
    लड्डू हम खुद ही खरीदेंगे
    बूंदी के, बेसन के, आटे के
    या घाटे के, लड्डू तो लड्डू


    दोगे लड्डू तो रिक्‍शा हमें
    चलाना पड़ेगा
    लड्डुओं को ढोकर
    पहले मंदिर फिर घर
    फिर दोस्‍तों के घर पहुंचाना पड़ेगा।

    पंडित वत्‍स जी को विजेता होने की बधाई
    यदि 1100 का इनाम पंडित जी का आए
    तो उन्‍हें लड्डू भिजवायें जायें
    वे तो खुद ही हजम कर सकेंगे
    हमें पूरा विश्‍वास है।

    ReplyDelete
  13. http://taau.taau.in/2009/08/blog-post_27.html
    सुरेश शर्मा जी आप ताऊ डॉट इन पर क्‍यों नहीं आये
    हम तो ताऊ स्‍टूडियो में आपके दर्शनों को इंतजराये
    अब हो आइये, एक लंबी सी कार्टूनमय टिप्‍पणी लगा आइये।

    ReplyDelete
  14. ग़लत तो ग़लत ही सही
    लेकिन
    जवाब मौलिक देंगे....
    अविनाश वाचस्पति के भरोसे नहीं रहेंगे...
    मेरा जवाब है
    प्रेम फर्रुखाबादी .......हा हा हा हा

    ReplyDelete
  15. अविनाशजी, ताउजी से और आपसे हम मिल आये हैं, आपको जाना-समझा ..आभार !

    ReplyDelete
  16. @ अलबेला खत्री
    मेरे भरोसे नहीं रहेंगे
    तो खतरा उठाइये
    वैसे मौलिकता ऐसे लाइये
    प्र नहीं क्‍लू है पु
    तो नाम हुआ मौलिक
    पुरुष प्रेम फर्रुखाबादी।

    ReplyDelete
  17. क्या कहूँ?...कैसे कहूँ? ...

    पहचाना मुझसे कोई जाता नहीं
    अब तो भूले से..
    अपना चेहरा भी कभी याद मुझे आता नहीं

    :-(

    ReplyDelete
  18. मेरी पहली टिप्पणी रद्द समझी जाए
    क्योंकि
    तब मैं जल्दी में था
    जल्दी का काम शैतान का
    मैं इन्सान हूँ.........
    चाहो तो अजय कुमार झा से पूछ लो
    ताऊ से भी सत्यापित करालो॥/।

    मेरा नया जवाब है
    डॉ० महेश सिन्हा ....हा हा हा हा
    अभी-अभी ब्लोग्वानी में देख कर आया हूँ...
    नीचे से ठोडी उन्हीं की कटी हुई है ..हा हा हा
    मैं जीत गया ..............हुर्रे..........हिप हिप हुर्रे ..हा हा हा

    ReplyDelete
  19. अलबेलाजी, इस समय रात के ठीक २: ०५ बजे हैं और मुझे आश्चर्य है, आप कौन से मूड से टिपिया रहे है ? अविनाश भाई आपकी हेल्प करना चाह रहे हैं पर आप अपनी मस्ती में हैं..शायद आपको १५००/-या ११००/- नहीं चाहिए क्यों ...?....:) :) :) :) !

    ReplyDelete
  20. अनिल पुसादकर जी
    regards

    ReplyDelete
  21. अगर मै हूं तो इतना खूबसुरत कभी नही लगा।

    ReplyDelete
  22. अनिल जी यह आप ही हैं
    बस इसलिए नहीं पहचान रहे हैं
    अपने आप को क्‍योंकि शर्मा जी ने
    बेशर्माये भीतर की खूबसूरती को
    बाहर चेहरे पर मड़ दिया है
    अनमोल रत्‍नों के माफिक।

    ReplyDelete
  23. @अविनाश जी,
    ब्राह्मण होने के नाते लड्डूओं से तो अपना जन्म जन्मांतरों से बैर है। ओर ये बैर तब तक खत्म नहीं होता जब तब कि सामने थाली में एक भी लड्डू मौजूद हो। आप 1100 की बात करते हैं,चाहे तो 2100 के ले आईये लेकिन हम भी पीछे हटने वाले नहीं है। ये शत्रुता आखिरी लड्डू के समाप्त होने तक निभाई जायेगी:)

    ReplyDelete
  24. जो भी हैं बहुत पहुंचे हुए हैं...
    नीरज

    ReplyDelete
  25. अनिल पुसादकर

    ReplyDelete