------- बताइए ये ब्लोगर कौन हैं -------
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पहेली २२ का सही हल- श्री अजय कुमार झा
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विजेता हैं- श्री अविनाश वाचस्पति (आपको बहुत-बहुत बधाई)
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इनके जवाब भी सही हैं- श्री अलबेला खत्री , संगीता पुरी , ऍम वर्मा !
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( कुल प्राप्त टिप्पणियां-१६ )
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सभी ब्लोगर भाई-बहनों से निवेदन है- इस ब्लॉग पर टिपण्णी देकर केवल फर्ज अदा न करें, सही जवाब भी देने की भी कोशिश करें, ये ब्लॉग आपका अपना है, आप अपनी टिप्पणियों द्वारा अपने अन्य ब्लोगर भाई से चाहे तो हल्का मजाक-मस्ती कर सकते हैं, इसकी छुट है, हाँ, इस बात का ख्याल रखें की आपके द्वारा किसी के दिल को ठेस न पहुंचे, प्यार दीजिये, प्यार पाइए, यही इस ब्लॉग का मकसद है, आपका ही स्नेह इस ब्लॉग को शिखर पर ले जा रहा है, मैं आप सभी का अत्यंत आभारी हूँ, धन्यवाद!
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श्री विवेक भाई , आपकी शिकायत सही है, हमें बेहद अफ़सोस है की आपका नाम पहेली-२१ में सही जवाब की सूचि में छुट गया था, पर जब पुरस्कार देने का समय आएगा तो आपका सही जवाब शामिल जरूर किया जायेगा! और,विजेता का नाम लाटरी के द्वारा खोला जाता है, सबसे पहले सही जवाब के आधार पर नहीं, आपसे प्राथना है इस ब्लॉग पर दादागिरी जैसे शब्दों का इस्तेमाल ना करें, आप प्यार भरे शब्दों का इस्तेमाल अपनी शिकायत में भी करें, आपकी बात सुनी जायेगी, राजीव भाई, आपको शिकायत है की मैंने आपको बकरा बना डाला, तो ठीक है, आपको अगली बार दुल्हनिया बनाकर पेश करेंगे॥ये वादा रहा!
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सभी दोस्तों की दुआ का असर है, आज हम बेहतर महसूस कर रहें हैं...आप सभी का आभार..!
ReplyDeleteसच्चा शरणम् हिमांशु । Himanshu
ReplyDeleteक्या वर्मा भाई साहब, कैच लपकने के लिए पहले से ही तैयार रहते है क्या..?
ReplyDeleteसच्चा शरणम् ब्लाग वाले हिमांशु जी
ReplyDeleteअम्पायर तो आप है कही नो बाल न दे दे
ReplyDeleteअविनाश वाचस्पति जी को बधाई !!
ReplyDeleteहिमांशु जी हैं !!
ReplyDeleteखूबसूरत लग रहे हैं बहुत ही ।
ReplyDeleteलगता है हिमांशु खुद अपनी खूबसूरती पर मोहित हो रहे है. सुरेश जी यह आपका ही कमाल है.
ReplyDeleteभाई विवेकजी की बात सही है............
ReplyDeleteमैं भी सहमत हूँ .........और इसलिए सहमत हूँ कि मेरे साथ भी
कई बार ऐसा हुआ ..खासकर तनेजा जी को मैंने सबसे पहले पहचाना
और अजय कुमार झा को भी मैंने ही सबसे पहले पहचाना लेकिन
मिला क्या ठन ठन गोपाल ?
अपना इतिहास देखो... ऐसा कई बार मेरे साथ हो गया ..और मैं
"हम वफ़ा कर के भी तनहा..." वाले स्टाइल में ..कारवां गुज़र
गया गुब्बार देखते रहे............
और ये लॉटरी क्या होती है ?
लॉटरी यानी जुआ !
जुआ किसका हुआ ?
न मेरा हुआ ..न विवेकजी का हुआ .............
लेकिन समस्या ये है कि जो मेरे जैसा फालतू या निट्ठला होगा
वो तो पहले उत्तर देदेगा इसलिए भी दे देगा क्योंकि यहाँ कभी
बिजली गुल नहीं होती.........लेकिन जहाँ बिजली की समस्या है,
वहाँ के लोगों को भी तो पूरा पूरा हक़ है भाई इसमे भाग लेने का.....
मानलो किसी ने देखा ही सबसे बाद में तो क्या वह सिर्फ़ इस
लिए विजेता बनने से वन्चित रह जाए कि उसने सबसे पहले उत्तर
नहीं दिया....
कुल मिला के मामले में कई लफड़े हैं अपन लफड़े में क्यों पड़े हैं ?
जैसे चल रहा है चलने दो
दिया जल रहा है जलने दो
रौशनी किसी तक तो पहुँचेगी ही................हा हा हा हा हा हा हा
मज़े करो यार................
हिमांशु जी ही हैं
ReplyDeleteबहुत शिकायत करते थे, आज खुद कहाँ गायब है..?.....अविनाश वाचस्पति हाजिर हो हो हो .....!
ReplyDeleteहिमांशु...
ReplyDeleteचलो डैढ़ हज़ार का जुगाड़ हो गया
आज बाहर शापिंग करने क्या चला गया
ReplyDeleteमतलब जाना पड़ा न जाता तो पक्का जाना ही पड़ता
आपने बिना प्लेन लैंस लगाकर आंखों में झांकने का
पूरा अवसर दिया, पर
मैं आया हूं लेट
चित्र देखते ही आए हैं ऐसे आंसू
जो हिम हो गए
हिमांशु जी हाजिर हो गए
हा हम हाजिर क्यों न हुए
क्या आज पहेली लेट नहीं हो सकती थी
या लेट ही जाती पहले की तरह
पर कोई बात नहीं
इनाम तो हमें ही मिलेगा
न मिला इनाम
तो नाम तो मिल ही रहा है
वो भी चलेगा
बल्कि दौड़ेगा
और भी तेज गति से।
@ अलबेला खत्री
ReplyDeleteजिसके पास गोपाल
कम नहीं उसके पास माल
वो तो हुआ मालामाल
न कि ठन ठन गोपाल
आप तो ठन ही गए
आगे से नियम बनाएं
जो बिजली न होने
अथवा महंगी होने से
भाग न ले पाएं
प्रमाण पत्र देखकर
उनकी भी पर्ची डाली जाए
पर उस पर्ची पर नाम न हो
निकल जाए अगर तो मलाल न हो
और जो सारे समाज में
चल रहे हैं नियम
वे यमराज ने बनाए हैं
इसलिए सुरेश शर्मा से बदलवाए हैं
सहमति है मेरी :
जैसे चल रहा है चलने दो
दिया जल रहा है जलने दो
अति सुंदर, मन भावन।
अविनाश जी को बहुत-बहुत बधाई...इनको तो मैँ पहचान नहीं पाया ...लगता है मँहगाई के इस दौर में नया चश्मा लेना पड़ेगा...
ReplyDeleteमुझे बधाई देना मत भूलें
ReplyDeleteइसी बहाने आपकी टिप्पणियां आकाश छू लें
और मिलें 15 सौ
इस मत जाना सो
बधाई देने से पहले।
अलबेला भाई, आप भी शिकायत कर बैठे ? एक बात तो तय है की सभी को एक साथ खुश नहीं किया जा सकता है, जहां तक मेरी बात है तो मै पूरी इमानदारी से अपना कर्तव्य निभा रहा हूँ, अगर सबसे पहले सही जवाब को विजेता घोषित कर दिया तो बाकी बाद में जो सही टिप्पणियां भेजते हैं, उनके साथ बेइंसाफी ही होगी, मेरी लाटरी को जुए का नाम ना दें, वैसे है तो जुआ ही, पर इसमें पैसे किसी के नहीं डूबते, मैं तो सभी विजेताओं के नाम की पर्ची बनाता हूँ फिर एक पर्ची उठा लेता हूँ , जिसकी तक़दीर में विजेता बनना होता है बन जाता है, वैसे आपने भी बाद में जवाब दिया है और विजेता बने हैं, मेरे पास सबूत है!
ReplyDeleteशर्मा जी कहां अलबेला जी के चक्कर में आ गए
ReplyDeleteवे तो इस बहाने अपनी टिप्पणियां बढ़ा रहे हैं
आप देख रहे हैं उनकी टिप्पणियां बाढ़ की तरह आ रही हैं
उनको भी और सबको भिगा रही है, गिला नहीं गीला रही हैं।
हिमांशु
ReplyDeleteअविनाशजी,
ReplyDeleteभाई सारी की सारी टिप्पणियां आप ले लो
मुझे तो बस वह समोसे दो और खिला दो
जो आपने अपने घर में खिलाये थे...
अरे वही जो आदरणीय भाभीजी ने मंगवाए थे
और कविवर पवन चन्दनजी लाये थे...
चंदनजी का भी जवाब नहीं
जैसा नाम वैसा स्वभाव ........
आप दोनों का सद्भाव
और आपसी लगाव स्तुत्य है
पर वे समोसे वाकई प्रस्तुत्य है
हा हा हा हा हा आहा
दोस्तों, बस एक सप्ताह के बाद दो-दो विजेता के नामों की घोषणा होगी, १५००/- व १,१००/- की इनाम राशि जितनी है तो आइये इस ब्लॉग पर ज्यादा से ज्यादा टिपण्णी दर्ज करें और बनें भाग्यशाली विजेता !
ReplyDeleteअविनाश भाई, आपका १००/- का पुरस्कार भेजा जा रहा है, सभी (इस ब्लॉग पर आने वाले ) दोस्तों को लड्डू खिलने के लिए तैयार रहें, मुझे देर से पता चल पाया की समीरजी की कल वैवाहिक वर्ष-गाँठ थी, एक दिन लेट हो गया हूँ, पर उन्हें बधाई तो देनी ही है, समीर भाई आपको बहुत-बहुत बधाइयाँ ...!
ReplyDeleteसमीरजी को शादी की सालगिरह पर ढेरों शुभ कामनाएं व बधाईयाँ..!
ReplyDeleteअगर ब्लॉग छोड़ने में देर हो तो समझियेगा, नेट स्लो है, इन्तजार कीजियेगा, देर से ही सही पर हम आयेंगे जरूर, वर्माजी, कैच करने को तैयार रहिएगा.:) :) :) !
ReplyDeleteनेट स्लो क्यो है? लगता है आप मैच से पहले नेट प्रैक्टिस नही करते.
ReplyDeleteनेट स्लो प्रेक्टिस न करने की वजह से नहीं
ReplyDeleteस्लो प्रेक्टिस करने की वजह से है बंधु
पर यह आंखें छिपाने में हो जाते हैं इतने व्यस्त
कि अपने स्वास्थ्य का भी नहीं रख पा रहे हैं ध्यान हैं
इसलिए घंटों दिनों रहते अंतर्ध्यान हैं
इसमें किसी का दोष नहीं है
यह तो प्रभु की लीला है
इंसान इंसान है, नहीं देवता रंगीला या अलबेला है।
सुरेश जी आपकी टिप्पणिया भी कम नही है
ReplyDeleteकही 1500 वाले इनाम पर निगाह तो नही है?
@ अलबेला जी जो समोसे आपने खाए थे
ReplyDeleteवे हम नहीं लाए थे
हम तो खुद आपके साथ खाने आए थे
और देखा था आपने हमने भी खाए थे
और खाते रहते हैं
आते रहते हैं
आप भी आते रहिए
और अविनाश जी के यहां के
समोसे खाते रहिए।