------- बताइए ये ब्लोगर कौन हैं -------
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पहेली २४ का सही हल- श्री रवि रतलामी
विजेता हैं- श्री पंडित डी.के शर्मा "वत्स" (आपको बहुत -बहुत बधाई)
--इनकी फोटो उपलब्ध नहीं----
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इनके जवाब भी सही हैं- श्री अलबेला खत्री, श्यामल सुमन, शरद कोकस, संजय बेंगानी, अविनाश वाचस्पति, एम वर्मा, समीर लाल, संगीता पुरी, राजीव तनेजा, सैयद
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सभी ब्लोगर भाई-बहनों से निवेदन है- इस ब्लॉग पर टिपण्णी देकर केवल फर्ज अदा न करें, सही जवाब भी देने की भी कोशिश करें, ये ब्लॉग आपका अपना है, आप अपनी टिप्पणियों द्वारा अपने अन्य ब्लोगर भाई से चाहे तो हल्का मजाक-मस्ती कर सकते हैं, इसकी छुट है, हाँ, इस बात का ख्याल रखें की आपके द्वारा किसी के दिल को ठेस न पहुंचे, प्यार दीजिये, प्यार पाइए, यही इस ब्लॉग का मकसद है, आपका ही स्नेह इस ब्लॉग को शिखर पर ले जा रहा है, मैं आप सभी का अत्यंत आभारी हूँ, धन्यवाद!
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(कुल प्राप्त टिप्पणियां- २३ )
दोस्तों, ख़ुशी की बात यह है की बस पांच ब्लॉग और जारी होंगे फिर १५००/- और १,१००/- के विजेता के नाम सामने आ जायेंगे, आपसभी, १,१००/- प्राप्त करने के लिए अधिक से अधिक टिपियायें !
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क्षमा चाहूँगा- आज जितना, किसी को पहचानने में, अपने आपको कभी मजबूर न पाया.
ReplyDeleteश्यामल सुमन
ReplyDeleteकही रंजना जी तो नही है.
ReplyDeleteया फिर ज्ञानदत्त पाण्डेय | Gyandutt Pandey
ReplyDeleteकोई न कोई ब्लोगरो मे से ही है. पक्की बात. 100% कंफर्म.
ReplyDeleteमगर मै नही हूँ
ReplyDeleteसमीर जी
ReplyDeleteअगर सुमन जी होते तो सुरेश जी टीका ज़रूर हटा दिये होते. क्यो सुरेश जी सही कह रहा हूँ न.
समीरजी, लगता है आज पहेली ज्यादा ही कठिन है? वर्माजी तो कुछ ज्यादा ही टेंशन में आ गए हैं, कोई बात नहीं , लीजिये क्लू ..इनका उप नाम पु...से शुरू होता है, भाई प्रख्यात ब्लोगर हैं !
ReplyDeleteअनिल पुसादकर जी !!
ReplyDeleteदोस्तों, क्लू पकडिये, और जी भरकर टिपियाइये क्योकि जो ज्यादा टिपियायेगा १,१००/- के लड्डू पायेगा !
ReplyDeleteश्री प्रवीण त्रिवेदी जी को जन्मदिन की ढेरों शुभ कामनाएं..ब्लोगर पहचानो परिवार की तरफ से ! तुम जियो हजारों साल, साल के दिन हों पचास हजार !
ReplyDeleteअनिल पुसदकर जी
ReplyDeleteअनिल पुसदकर जी को बना लिया
ReplyDeleteहॉलीवुड की नामी हीरोईन
इनको पहचानने पर आपको जरूर
इनाम बढ़ाना पडेगा
यह पहचान इतने सस्ते में नहीं चलेगा।
हॉलीवुड में मिलता है काम का अधिक दाम
काम चाहे पहचानना हो या न पहचानना।
हमें तो नकद ही दीजिएगा
ReplyDeleteलड्डू हम खुद ही खरीदेंगे
बूंदी के, बेसन के, आटे के
या घाटे के, लड्डू तो लड्डू
।
दोगे लड्डू तो रिक्शा हमें
चलाना पड़ेगा
लड्डुओं को ढोकर
पहले मंदिर फिर घर
फिर दोस्तों के घर पहुंचाना पड़ेगा।
पंडित वत्स जी को विजेता होने की बधाई
यदि 1100 का इनाम पंडित जी का आए
तो उन्हें लड्डू भिजवायें जायें
वे तो खुद ही हजम कर सकेंगे
हमें पूरा विश्वास है।
http://taau.taau.in/2009/08/blog-post_27.html
ReplyDeleteसुरेश शर्मा जी आप ताऊ डॉट इन पर क्यों नहीं आये
हम तो ताऊ स्टूडियो में आपके दर्शनों को इंतजराये
अब हो आइये, एक लंबी सी कार्टूनमय टिप्पणी लगा आइये।
ग़लत तो ग़लत ही सही
ReplyDeleteलेकिन
जवाब मौलिक देंगे....
अविनाश वाचस्पति के भरोसे नहीं रहेंगे...
मेरा जवाब है
प्रेम फर्रुखाबादी .......हा हा हा हा
अविनाशजी, ताउजी से और आपसे हम मिल आये हैं, आपको जाना-समझा ..आभार !
ReplyDelete@ अलबेला खत्री
ReplyDeleteमेरे भरोसे नहीं रहेंगे
तो खतरा उठाइये
वैसे मौलिकता ऐसे लाइये
प्र नहीं क्लू है पु
तो नाम हुआ मौलिक
पुरुष प्रेम फर्रुखाबादी।
क्या कहूँ?...कैसे कहूँ? ...
ReplyDeleteपहचाना मुझसे कोई जाता नहीं
अब तो भूले से..
अपना चेहरा भी कभी याद मुझे आता नहीं
:-(
मेरी पहली टिप्पणी रद्द समझी जाए
ReplyDeleteक्योंकि
तब मैं जल्दी में था
जल्दी का काम शैतान का
मैं इन्सान हूँ.........
चाहो तो अजय कुमार झा से पूछ लो
ताऊ से भी सत्यापित करालो॥/।
मेरा नया जवाब है
डॉ० महेश सिन्हा ....हा हा हा हा
अभी-अभी ब्लोग्वानी में देख कर आया हूँ...
नीचे से ठोडी उन्हीं की कटी हुई है ..हा हा हा
मैं जीत गया ..............हुर्रे..........हिप हिप हुर्रे ..हा हा हा
अलबेलाजी, इस समय रात के ठीक २: ०५ बजे हैं और मुझे आश्चर्य है, आप कौन से मूड से टिपिया रहे है ? अविनाश भाई आपकी हेल्प करना चाह रहे हैं पर आप अपनी मस्ती में हैं..शायद आपको १५००/-या ११००/- नहीं चाहिए क्यों ...?....:) :) :) :) !
ReplyDeleteअनिल पुसादकर जी
ReplyDeleteregards
अगर मै हूं तो इतना खूबसुरत कभी नही लगा।
ReplyDeleteअनिल जी यह आप ही हैं
ReplyDeleteबस इसलिए नहीं पहचान रहे हैं
अपने आप को क्योंकि शर्मा जी ने
बेशर्माये भीतर की खूबसूरती को
बाहर चेहरे पर मड़ दिया है
अनमोल रत्नों के माफिक।
@अविनाश जी,
ReplyDeleteब्राह्मण होने के नाते लड्डूओं से तो अपना जन्म जन्मांतरों से बैर है। ओर ये बैर तब तक खत्म नहीं होता जब तब कि सामने थाली में एक भी लड्डू मौजूद हो। आप 1100 की बात करते हैं,चाहे तो 2100 के ले आईये लेकिन हम भी पीछे हटने वाले नहीं है। ये शत्रुता आखिरी लड्डू के समाप्त होने तक निभाई जायेगी:)
जो भी हैं बहुत पहुंचे हुए हैं...
ReplyDeleteनीरज
अनिल पुसादकर
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